सफल ज़िन्दगी का ये उसूल है,
बातें छोड़िये ये जो फ़िज़ूल है।
कभी फूलों सी महकती है,
तो कभी काँटों सी चुभती है।
फलक को ज़िद है , बिजलियाँ गिराने की,
तो मुझे भी ज़िद है आशियाँ वही बनाने की।
कदम - कदम पर नए इम्तिहान रखती है,
ज़िन्दगी तू मेरा कितना ख्याल रखती है।
तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाए ?
शौक जीने का है , पर इतना भी नहीं की मर-मर जिया जाए।
लेखिका
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