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  • Writer's pictureKhushbu

दास्तान - ए - ज़िन्दगी | Dastan-a-Zindagi



सफल ज़िन्दगी का ये उसूल है,

बातें छोड़िये ये जो फ़िज़ूल है।


कभी फूलों सी महकती है,

तो कभी काँटों सी चुभती है।


फलक को ज़िद है , बिजलियाँ गिराने की,

तो मुझे भी ज़िद है आशियाँ वही बनाने की।


कदम - कदम पर नए इम्तिहान रखती है,

ज़िन्दगी तू मेरा कितना ख्याल रखती है।


तुझसे हर कदम पर समझौता क्यों किया जाए ?

शौक जीने का है , पर इतना भी नहीं की मर-मर जिया जाए।



लेखिका


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