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  • Writer's pictureAdv. Prabhjot

एक दरख़्वास्त | Ek Darakhwast

एक दरख़्वास्त


ढल रही है शाम,

और रात आने को है।

बहर-ए-नूर समेट कर

चांद आने को है।

दिल के तहखाने में अक्सर

दबे ही रह जाते हैं,

शायद दिल से लबों पर

कुछ जज़्बात आने को हैं।

यूं तो बीत गए

कई लम्हे यूं ही,

पर यह लम्हा ठहराने को

एक दरख़्वास्त आने को है।|



लेखिका

प्रभजोत (वकील)

Book For Kids-


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