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Writer's pictureVishakha

एक सपना ।। Ek Sapna

Updated: Jun 10, 2021

एक सपना।


एक सपना जो हमने देखा था,

नहीं - नहीं , जो मैंने देखा था,

अब ठीक ?


क्या उसे अब जाने देना चाहिए ?

जो भी था, थोड़ा ही सही अच्छा तो था |


तो जाने दूँ क्या ?

वो बिता हुआ कल, जो बीतता ही नहीं है,

किसी न किसी बहाने, सामने आ जाता है,

मुझ पर व्यंग करता है।


हाँ , सच !

मैं नहीं बुनती हूँ अब,

तुम्हारे ख्वाबों की मख़मली चादर।

फिर भी, तुम चले आते हो,

किसी गली, किसी मोड़ से मुड़कर,

अचानक ही, आदतन।


लेखिका

विशाखा

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