इंसानी मुखौटा
इंसान है, या एक पुतला है तू,
खाव्हिशो का?
ज़िन्दगी तेरी,
और ख्वाहिशें दुनिया की,
बस जो तू पूरी ना कर रहा,
एक तेरी, एक मेरी।।
एक खुद की क्या ख्वाहिश तेरी,
कभी वक़्त मिले, तो झाँक खुद के भीतर भी
सुन तो ले, क्यों दिल कर रहा है,
किस बात की सिफारिश।।
हिम्मत नही है, तुझमें, मुझ जितनी
ये कहना तेरा है,
तू एक बार पूछ तो मुझसे,
तुझे चाहने की हिम्मत भी,
मुझे, तुझसे मिली है।।
एक बार इज़हार तो कर,
मुझसे नही, तू खुद से इकरार तो कर।
बादल से बारिश सी, बरसेगी ज़िन्दगी,
ओर मोती हम-तुम पर गिरेंगे।।
लेखिका
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