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पतझड़- सफर यादों का || Patjhad- Safar Yadon ka.

पतझड़- सफर यादों का

यादों का सफर भी बड़ी अजीब है,

हर याद का ज़ायका लज़ीज़ है।।

कभी आँखों में नमी लाती है,

तो, कभी होठों पर हसी लाती है।।

ये यादें वक़्त - बेवक़्त आती है,

उदास लोगों की भी अपनी कहानी है,

दिल में दर्द और चेहरा नूरानी है,

कुछ ख़त्म होना भी ज़रूरी है,

कुछ नया शुरू करने के लिए,

तय किया है, अपने अल्फ़ाज़ों का सफर,

कश्ती मझदार में थी, न था साहिल का ख़बर,

महक उठती है यादें भी गुलाब की तरह,

उलझा देती है, हमें धागों की तरह।।

लेखिका


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Dharma: Decoding the Epics for a Meaningful Life

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