top of page
  • Writer's pictureDr. Kshipra

वो लड़की - एक हौस्टलर!


woh ladki - ek hosteler a hindi poem on girl's struggle

वो लड़की - एक हौस्टलर!

दुनिया की नजरों में,

आज़ाद, स्वच्छंद,

आज़ादी तन, मन, धन की।

आज़ादी,

अपने हिसाब से जीने की|


लोग मानते हैं उसे,

अभिमानी व सफल,

अफवाहों का एक मुख्य घटक !

एक भोग्या,

जो हर किसी के लिए सहज उपलब्ध है,

नहीं जानते तो बस इतना, कि वो

स्वतंत्र है, स्वच्छंद नहीं !

Hostel life of a girl

हर पल अविश्वास,

असुरक्षा के बीच जीती हुई,

न जाने कितनी बार अग्निपरीक्षा देती हुई,

वह लड़की, एक हौस्टलर,

घिर जाती है वर्जनाओं की परिधि में !

वर्जनाएं समाज द्वारा लादी गई,

वर्जनाएं खुद को अपने ही ऊपर थोपी गई !

पैनी निगाहों से अपने अंतर्मन को बचाते हुए,

अपनी मासूमियत सहेजते हुए,

a girl's struggle for living

वो लड़की, एक हॉस्टलर,

टूटती है, बिखरती है,

लेकिन फिर संभलती है,

अपने बिखरे हुए टुकड़े समेट कर,

फिर खड़ी हो जाती है अकेली,

और लड़ती है इस महासमर में,

अपनी अस्मिता व वजूद के सम्मान के लिए !


वो लड़की, एक हॉस्टलर !

वो लड़की, एक हॉस्टलर!!



कवियित्री

hindi Poet
डॉ. क्षिप्रा

Books You Must Read -



85 views0 comments

Recent Posts

See All

Comments


Subscribe For Latest Updates

Thanks for subscribing!

bottom of page